Sunday, 12 February 2017

Hadees-e-Masoomeen

अली अलहिस्सलाम इर्शाद फरमाते हैं

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जब मेरा जी चाहता है के मैं अपने रब
से बात करू तो मैं नमाज़ पढ़ता हू और
जब मेरा जी करता है के मेरा रब
मुझसे बात करे तो मैं कुरआन पढ़ता हूं


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सब्र को इमान से वही निस्बत है
जो सर को जिस्म से है जिस तरह
 बगैर सर के जिस्म बेकार है
इसी तरह बगैर सब्र के इमान


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खुदा से मांगना सुजाअत है
अगर दे तो रहमत न दे तो हिकमत
, मखलूक से मांगना ज़िल्लत
 अगर दे तो ऐहसान न दे तो शर्मिन्दगी


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बात तमीज़ से और एतराज़ दलील से करो
क्योंकि ज़बान तो हैवानों मे भी होती है
मगर वो इल्म और सलीके से महरूम होते हैं



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अगर तुम्हे यकीन हो जाये के तुम्हारा
 रज़्ज़ाक अल्लाह है तो तुम रिज्क
 तलाश न करो अल्लाह को तलाश करो
जिसके पास तुम्हारा रिज्क है



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रिज्क के पीछे अपना ईमान खराब मत
करो क्योंकि रिज्क इन्सान को ऐसे
 तलाश करती है जैसे मरने वाले को मौत


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लोगों से याद न करने का सिकवा न
 करो क्योंकि जो इन्सान अपने रब को
 भूल सकता है वो सब को भूल सकता है



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जिन्दगी को ज़रूरियात मे रखो
 ख्वाहिसात की तरफ न ले जाओ
 क्योकि ज़रूरियात फकीरों की भी
 पूरी होती है और ख्वाहिसात बादशाहों
 की भी रह जाती है



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कोशिश करो के तुम दुनिया मे रहो
 दुनिया तुम में न रहे क्योकि कश्ती जब
तक पानी में रहती है खूब तैरती है
लेकिन जब पानी कश्ती में आ जाता है
तो वो डूब जाती है



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कुछ चीजों की शिकायत कभी न करो


1: औलाद के सामने अपने बड़ों की


2 : अपना ज़ाती मकान होते हुवे भी
उसकी तंगी की


3 : भूलकर भी अपने मां बाप या
 अपने उस्ताद की


4 : गैर के सामने अपने दोस्त की


5 : रूखसत करने के बाद
 अपने मेहमान की



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अगर तुम किसी को धोखा देने मे
कामयाब हो जाते हो तो ये न समझना
वो कितना बेवकूफ है बल्के ये सोंचना
उसको तुम पर कितना ऐतबार है



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हक बात की पहली निशानी ये है
 उसकी हमेशा मुंखालेफत होती है
 जिसकी कोई मुखालेफत नही
 वो कतअन हक़ नही



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किसी का ऐब तलाश करने वाले की
 मिशाल उस मक्खी की तरह है जो
सारा खूबसूरत जिस्म छोड़कर सिर्फ
 जख्म पर ही बैठता है



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अगर कोई तुमसे भलाई की उम्मीद
रखे तो उसको मायूस मत करो
 क्योंकि लोगों की जरूरत का तुमसे
 वाबस्ता होना तुम पर अल्लाह तआला
 का खास करम है



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अच्छे लोगों की खूबी ये भी है के उन्हे
याद रखना नहीं पड़ता



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जिसने किसी को अकेले में नसीहत की
 उसने उसे संवार दिया जिसने किसी
 को सब के सामने नसीहत की उसने
 उसे मज़ीद बिगाड़ दिया



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अगर किसी का ज़र्फ आज़माना हो तो
 उसको ज्यादा इज़्ज़त दो वो आली
ज़र्फ हुआ तो आपको और ज़्यादा
इज़्ज़त देगा और कम ज़र्फ हुआ तो
 खुद को आला समझेगा



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इंसान अपनी मर्ज़ी से पैदा नही होता
 न ही मौत अपनी मर्ज़ी से आती हैं
तो फिर ज़िन्दगी और मौत के
 दरमियान का वक्त अपनी मर्ज़ी से
क्यों गुजारना चाहता हैं?



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जिसको तुमसे मुहब्बत होगी वो तुम्हे
 फुज़ूल और नाजायज़ कामो से रोकेगा



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किसी इन्सान को तकलीफ देना इतना
 आसान जितना समन्दर मे पत्थर
 फेंकना मगर ये कोई नही जानता के वो
 पत्थर कितनी गहराई मेँ गया



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जो दोस्त तुम्हारा गुस्सा बर्दाश्त करले
और साबित कदम रहे तो वो तुम्हारा
 सच्चा दोस्त है



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जिस आदमी को गुस्सा ज्यादा आता है
 वह प्यार भी उतना ही ज्यादा करता है
 और उतना ही साफ दिल रखता है



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अगर तुम सारी जिंदगी के लिए किसी
को दोस्त रखना चाहते हो अपने दिल
मे कब्र बना लो ताकि तुम अपने दोस्त
की गलती दफन कर सको



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दोस्त चाहे कितना भी बुरा हो जाय
उससे दोस्ती मत तोड़ो क्योंकि पानी
चाहे कितना भी गंदा हो जाय आग
 बुझाने के काम आता ही है



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लोगों के दिलो मे अपना मुकाम इस
 तरह बना लो कि मर जाओ तो दूआ
 करे जिन्दा रहो तो मिलने की तमन्ना रखे



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अगर तुम पानी मे डूब रहे हो और तुम्हे
याद आ जाये के वक्ते नमाज़ है तो
नमाज़ की नीयत कर लो



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कभी किसी इंसान को जिन्दगी का
राजदार न बनाओ क्योंकि आदमी
बड़ा खुदगर्ज है जब आपको पसंद
 करता है तो आपकी बुराई को भुल
 जाता है और जब नफरत करता है तो
 आप की अच्छाई भुल जाता है



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हज़रत अली (अ०)

दो चीज़ें ऐसी हैं जिनके जाने के बाद एहसास होता है एक जवानी दूसरी सेहत



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हज़रत अली (अ०)

आलिम की ग़लती की मिसाल मिसाल कश्ती के टूटने जैसी है की खुद भी डूबती है और अपने साथ सवारी को भी ले डूबती है


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हज़रत अली (अ०)

अपनों की दुश्मनी बिच्छू के डंक मारने से ज़्यादा दर्दनाक है


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हज़रत अली (अ०)

लालची आदमी फ़क़ीर की तरहां है की अगर तमाम ज़मीन पर क़ाबिज़ हो जाये फिर भी फ़क़ीर रहेगा



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हज़रत अली (अ०)

तुम किसी के ग़ुलाम न बनो , क्योंकि खुदा वन्दे आलम ने तुम्हे आज़ाद ख़ल्क़ फरमाया है


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हज़रत अली (अ०)

माल(दौलत) की ज़्यादती दिलों को ख़राब और तरहां तरहां के गुनाहों को पैदा करने वाली है



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हज़रत अली (अ०)

तंगदस्ती और मुसीबत में तुझको सब्र करना चाहिये


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हज़रत अली (अ०)

अक़्ल की मदत के बग़ैर ज़माने की मुश्किलों पर क़ाबू नहीं पाया जा सकता



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हज़रत अली (अ०)

अक़्ल वालों से मशवरा करो ताकि मलामत और निदामत से बच सको



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हज़रत अली (अ०)

कुछ ऐसे बदनाम हैं जिनका हक़ीक़त में कोई गुनाह नहीं है



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हज़रत अली (अ०)

अगर अंजाम पर नज़र रखोगे तो तबाही से बचे रहो गे


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हज़रत अली (अ०)

जो चुग़ली सुनता है उसकी गिनती भी चुग़ली करने वालों में होती है


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हज़रत अली (अ०)

जो झूट बोलने में मशहूर होता है उसकी बात पर यक़ीन कम होता है


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हज़रत अली (अ०)
ईसार ईमान का बलन्द-तरीन दर्जा है



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हज़रत अली (अ०)

वक़्त व मौक़ा जलदी ही हाथ से निकल जाता है



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हज़रत अली (अ०)

तजुर्बे फायदा पहुचाने वाले इल्म है


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हज़रत अली (अ०)

ज़ुल्म की सवारी पर चलने वाले को खुद उसकी सवारी पामाल कर देती है



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हज़रत अली (अ०)

रज़ीलों (खराब लोगों) से मेल जोल तबाही की निशानी है


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हज़रत अली (अ०)

गुफ़्तुगू करो ताकी पैहचने जा सको



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हज़रत अली (अ०)

जो इल्म को छुपता है गोया जाहिल है


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हुज़ूर सलल्लाहू अलैह वसल्लम ने फ़रमाया
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हदीस :-जब तुम अपने बिस्तर पर जाओ तो सुराः फ़ातिह और सूरह इखलास को पढ़ लिया करो, तो मौत के अलावा हर चीज़ से बेखौफ हो जाओगे.


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वह दिन क़रीब है जब आसमान पे सिर्फ एक सितारा होगा. तौबा का दरवाज़ा बंद कर दिया जायेगा. क़ुरआन के हरूफ मिट जायेंगे , सूरज ज़मीन के बिलकुल पास आ जायेगा.,


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"बेनूर हो जाये उसका चेहरा जो कोई मेरी हदीस को सुन कर आगे न पोहचाए.

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Gussa Shaitan ki Taraf Se Hai.
Or Shaitan Ko Aag Se Paida kiya Gya
Hai.
Or Aag ko Pani Bujhata hai. Isliye Jab
Gussa Aye To Wazu kar Liya kro

"

HAZRAT ALI (A.S) “

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ek shaqs ne MAULA ALI (AS) se
pucha :


YA MAULA..!
aap AMIRUL MOMENEEN hai or aap
 ALLAH ke wali hai aap hamesha
zameen par qyu beth te hai..?

MAULA ALI (as) ne farmaya :
"ZAMEEEN PE BETH NE WALE KABHI
GIRTE NAHIN"




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IMAM JAFAR-SADIQ (A.S.) :-


Musalmaan woh hota hai jis ke haath aur zabaan se dusre musalmaan mehfuz rahe...

(Behar 75/51)
SALWAT



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'Bahetrin me se bahetrin IBADAT'
Ek momin bhai dusre momin bhai ko khush kare yani ki Ek momin bhai dusre momin bhai k dil me khushi paida kare vo behtrin IBADT.
             
(IRSHADE ILAHI.)



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Hazrat Ali (a.s) Ne Farmaya:


"Ek Doosray Ko Dua'on Mein Yad Rakha Karo,Ho Sakta Hai Kisi Ka Bohat Bara Kaam Tumhari Choti Si Dua Ka Mohtaj Ho"


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Pyare nabi kareem Sallallahu Alaihi wasallam ne irshad farmaya ke:

"wo shaks jannati hai jo raat ko sone se pehle sab ko maaf kar ke soye".
Aur aap ne ye bhi farmaya k "jis ne bhi meri is hadis ko suna aur dusron tak pahuchae qayamat k din uske liye meri shafa'at wajib hogi.....

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Imam Baqir (as)ne farmaya :


"Agar Sawaal karne wale (maangne waale) ko ye maalum ho jaaye ke sawaal karne mein kya burayi hai to kabhi koi ek doosre se kuchh na maange.
Aur agar dene wala ye jaan le ke dene mein kya achchayi hai to kabhi kisi maangne waale ko bagair diye waapas na kare.
"

ref : (Man La Yahzarul Faqeeh, v2, p52)



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ALI(a.s.) Ke Nokar

Baat karne ke liye jab bhi zabane khole Apne qirdaar ko meezan e amal par tole Laakh hum khud ko ghulam e dare haidar bole Baat jab hai ...